Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Mar 2024 · 1 min read

हाँ, तैयार हूँ मैं

हाँ, तैयार हूँ मैं,
क्योंकि————–,
बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को,
जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को,
और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को।

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ,
तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ?
क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ?
क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ?

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक,
आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी,
निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक,
उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें।

हाँ, तैयार हूँ मैं,
लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से,
और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास,
मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता,
मुझको अब आगे बढ़ना है।

और इसीलिए,
हाँ, तैयार हूँ मैं ,
क्योंकि——————–।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
124 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
అతి బలవంత హనుమంత
అతి బలవంత హనుమంత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
माया फील गुड की [ व्यंग्य ]
माया फील गुड की [ व्यंग्य ]
कवि रमेशराज
भीगी पलकें...
भीगी पलकें...
Naushaba Suriya
A last warning
A last warning
Bindesh kumar jha
बचा लो जरा -गजल
बचा लो जरा -गजल
Dr Mukesh 'Aseemit'
गंगा- सेवा के दस दिन (छठा दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (छठा दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
भूल कर
भूल कर
Dr fauzia Naseem shad
मौसम किसका गुलाम रहा है कभी
मौसम किसका गुलाम रहा है कभी
नूरफातिमा खातून नूरी
वसंत पंचमी
वसंत पंचमी
Dr. Vaishali Verma
हैवानियत के पाँव नहीं होते!
हैवानियत के पाँव नहीं होते!
Atul "Krishn"
निशाना
निशाना
अखिलेश 'अखिल'
अंततः...
अंततः...
हिमांशु Kulshrestha
4410.*पूर्णिका*
4410.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
स्वर्ग से सुंदर अपना घर
स्वर्ग से सुंदर अपना घर
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वो
वो
Sanjay ' शून्य'
नौलखा बिल्डिंग
नौलखा बिल्डिंग
Dr. Kishan tandon kranti
कैसी घड़ी है, कितनी खुशी है
कैसी घड़ी है, कितनी खुशी है
gurudeenverma198
इस देश की ख़ातिर मिट जाऊं बस इतनी ..तमन्ना ..है दिल में l
इस देश की ख़ातिर मिट जाऊं बस इतनी ..तमन्ना ..है दिल में l
sushil sarna
जीवन में प्राकृतिक ही  जिंदगी हैं।
जीवन में प्राकृतिक ही जिंदगी हैं।
Neeraj Agarwal
चन्द्रघन्टा माँ
चन्द्रघन्टा माँ
Shashi kala vyas
मुझमें क्या मेरा है ?
मुझमें क्या मेरा है ?
अरशद रसूल बदायूंनी
कुछ जवाब शांति से दो
कुछ जवाब शांति से दो
पूर्वार्थ
*सब पर मकान-गाड़ी, की किस्त की उधारी (हिंदी गजल)*
*सब पर मकान-गाड़ी, की किस्त की उधारी (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
कल शाम में बारिश हुई,थोड़ी ताप में कमी आई
कल शाम में बारिश हुई,थोड़ी ताप में कमी आई
Keshav kishor Kumar
14) “जीवन में योग”
14) “जीवन में योग”
Sapna Arora
काफिला
काफिला
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आम पर बौरें लगते ही उसकी महक से खींची चली आकर कोयले मीठे स्व
आम पर बौरें लगते ही उसकी महक से खींची चली आकर कोयले मीठे स्व
Rj Anand Prajapati
स्नेह से
स्नेह से
surenderpal vaidya
संस्कार
संस्कार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
Loading...