हाँ! मैं करता हूँ प्यार
शीर्षक – हाँ! मैं करता हूँ प्यार
विधा – कविता
परिचय – ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो. रघुनाथगढ़, सीकर राज.
पिन – 332027
मो. 9001321438
हाँ! मैं करता हूँ प्यार
स्वीकार है मुझे वो पीड़ा
सहर्ष अपनाया है वो दुःख
जिसने मुझे चेतावनी दी।
सुसुप्त था जब मुझे पता न था
संसार की पीड़ा,अवसाद से भिन्न
व्यक्ति की अपनी घुटन
तोड़ती है चेतना की परतें
जिसमें लिपटकर जीवन
निरापद बना रहता है।
मुझे प्यार है उस खुशी से
जिसके पीछे छिपी है उदासी
जीवन की परिभाषा में कहूँ
उदासी जीवन की प्रेरकशक्ति
बनती है तब, जब …..!
जब कोई खुशी चेहरें को ताकता है
और अंदर धँसी उदासी की लकीरें
देखता है उभारकर।
तब मुझे प्यार हो जाता है
मैं खो जाता हूँ उस व्यक्ति को ढूँढ़ने
जिसने डूबकी लगाई पर तैर न सका
जो अतल दुःख-सागर में।
हाँ! मुझे प्यार है उस रूप से
जिसने उलझे जीवन में भी
आशा को त्याग कर्मलीन हो
साधा है उस कठिन पथ को
जिसको साधने में बने कई अपराधी
कई जीना छोड़ चुके थे
कई हार के बदल चुके मार्ग
पर धन्य है वो रूप
जिसने भाग्य को ठुकराया
बन स्वयं भाग्य नियंता।
हाँ! मुझे प्यार है उससे
अप्रत्याशित जिसने कर्म किये
विश्वास जगत में अपनाया
भाव जगत में ग्रहण किया।