*……हसीन लम्हे….* …..
……हसीन लम्हे…. …..
ये वक्त के हसीन लम्हे यूंही गुजर जायेंगे ,
सूरज ढल जाऐगा और सुबह का पता ना होगा ,
फुल भी मुरझा जायेंगे, इन मौसम से, शायद ही बारिश का पता होंगा।
वैसे ही हम सब दोस्त यूंही बिछड़ जायेंगे,
शायद ही किसी दोस्त का पता लग पायेंगा,
इन प्यारे लम्हो का कोई हसीन खजाना बनायेगा,
हजारो को मिलेंगी बुलंदियां
हजारो को मिलेंगी परेशानियां,
हजारो को मिलेंगी मंजिलें ,
शायद ही किसी रास्ते का पता चल पाएगा,
इन खुबसूरत लम्हों का ख्वाब बन जाएगा,
दोस्तो से झगडा,
टीचर से डांट खाना,
चपरासी काका से बात करना।
शायद ही इन लम्हा का दोबारा मिलना
आसान होंगा ||
नौशाबा जिलानी सुरिया