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12 Jun 2021 · 1 min read

हसीं कोई नही

हसीं कोई नही (ग़ज़ल)
** 2212 2212 **
*****************

तुम सा हसीं कोई नहीं,
देखा उसे सोई नहीं।

होश-हवासों में कहाँ,
आपा ज़रा खोई नहीं।

जब दूर नजरों से गए,
सहमी रही रोई नहीं।

छुआ उसे थी अनछुई
मैली रही धोई नहीं।

ना नीर उसको सकी,
डालूं कहाँ डोई नहीं।

वो पास भी ना सके,
बातें कभी होई नहीं।

नादान मनसीरत रहा,
काटूँ कहाँ – बोई नही।
******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

1 Like · 342 Views
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