*ना जाने कब अब उनसे कुर्बत होगी*
हर एक चोट को दिल में संभाल रखा है ।
*क्यों बुद्ध मैं कहलाऊं?*
बाल मेंहदी लगा लेप चेहरे लगा ।
वे वादे, जो दो दशक पुराने हैं
पिता का पेंसन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*मची हैं हर तरफ ऑंसू की, हाहाकार की बातें (हिंदी गजल)*
मैंने कभी भी अपने आप को इस भ्रम में नहीं रखा कि मेरी अनुपस्थ