हवस
मजा जीने का आता है चला जाता है।
हवस मिटती नही मजा आने के भी बाद।।
हर शख्स में वही दिखती है,
ये हवस है या आरजू मिलने की।
पेट भर दिया ज़िस्म ने मेरा,
हवस मिटती नही मरने के भी बाद।
मैं जिंदा हूँ हर कल के लिए,
हवस ने संभाला है जीने के लिए।।
मैं उससे नफरत करूँ या नापसंद करूँ,
मेरी हवस मुझे खींच लाती है द्वार तक तेरे।।
मेरी हवस की इंतहा हो गयी इतनी,
उसकी फोटो से नजरें हटती नही।।
मोहब्बत तो बहाना बन गया था,
हवस का संभलना मुश्किल जो हो रहा था।।
तुझे छूना, तुझे देखना, तेरा एहसास अकेले में करना, प्यार तो नही लगता।
दूसरे से मिलता हूँ तो तुझे क्यों भूल जाता हूँ ??