*”हलषष्ठी मैया”*
“हलषष्ठी मैया’
भादो का महिना हरछठ ,हलषष्ठी तिथि व्रत पूजा कराएं।
हलषष्ठी मैया को चढ़ाए ,पसहर चावल और न कोई दूजा चढ़ाएं।
ताल तलैया सगरी बना ,कुशा घांस पूजन करें।
खेल खिलौने बच्चों के लिए चढ़ा उनको बांट खुशी मनाएं।
कलश स्थापना गणेश ,कार्तिकेय, शिव पार्वती पूजन कर दीप जलाएं।
महुआ के पत्ते महुआ के दोने पत्तल बना महुए का भोग लगाएं।
पसहर चावल कूटकर ,लाल चांवल भैंस के दही का प्रसादी बनाएं।
दोपहरी में पूजन करते ,बच्चों को भी संग बैठाए।
महुआ से हवन करें ,महुआ भी खाए ।
महुआ के दोने में भूंजे चने ,गेंहू ,मक्के की फूली भी दे जाए।
हलषष्ठी व्रत पूजन कर महुआ की पत्तल पर प्रसादी पाएं।
भैंस के दूध दही ,छह प्रकार की भाजी पसहर चावल के साथ खाएं।
माँ बच्चों को पीठ पर बांए अंग पे हल्दी लगे पीले कपड़े से पोता मार आशीष वचन दे जाएं।
हर नारी सोलह श्रृंगार कर ,बच्चों की लंबी उम्र का वरदान मैया से पा जाएं।
भादो महीना में हरछठ का ये त्यौहार मनाएं।
हलषष्ठी मैया सबको स्वस्थ ,खुशहाल रखें ऐसा वरदान मिल जाएं।
जय माता हलषष्ठी की ?
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शशिकला व्यास ✍️