हर क़दम पर सराब है सचमुच
हर क़दम पर सराब है सचमुच
तिशनगी बे-हिसाब है सचमुच
दूर तुझसे हुआ हूँ तब जाना
हिज्र क्या है अज़ाब है सचमुच
तेरा आँचल है चांदनी गोया
चाँद का तू जवाब है सचमुच
हर नफ़स फूटने का है ख़तरा
ज़िन्दगी इक हुबाब है सचमुच
तूने होंटों से छू लिया “आसी”
फिर ग़ज़ल कामयाब है सचमुच
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सरफ़राज़ अहमद आसी