हर सुबह को आता है नींद से जगा देना
हर सुबह को आता है नींद से जगा देना
सत्य को भी आता इंसान को सजा देना
जिन्दगी की बगियाँ को फूल से खिला देना
बीज चाह के बो सरगम नया सजा देना
प्रेमिका पुरानी तेरी रही युगों से मैं
तुम न अब किसी से फिर आँख को लड़ा देना
पास आ कभी हमसे दूर मत चले जाना साँस से बँधी हूँ जीवन दे मुझे जिला देना
हाथ जब पिता ने तुझको दिया हमेशा को
प्यार से मुझे रख कोई न फिर गिला देना
हो गया न जाने क्यों प्रेम रोग मुझको अब
आज फिर मुझे कोई रोग की दवा देना
झाड फूँक सब मैं करवा चुकी हूँ अब
फिर असर न करती कोई दवा दुआ देना