“हर सुबह कुछ कहती है”
“हर सुबह कुछ कहती है”
हर सुबह कुछ कहती है,
तमन्नाएँ छुपाकर रखती है।
नई सुबह देती मौका नया
पर रहती चुप, न करती बयां
इशारों को उसके समझ लेना
कुछ कदम साथ चल लेना
मंजिल छुपी हुई रहती है,
हर सुबह कुछ कहती है।
“हर सुबह कुछ कहती है”
हर सुबह कुछ कहती है,
तमन्नाएँ छुपाकर रखती है।
नई सुबह देती मौका नया
पर रहती चुप, न करती बयां
इशारों को उसके समझ लेना
कुछ कदम साथ चल लेना
मंजिल छुपी हुई रहती है,
हर सुबह कुछ कहती है।