हर सफर मजा देता है
देश परदेस में घूम कर कहाँ मिलता है
सकून, जो घर का बिस्तर सदा देता है
बोझ सामान का हो या ख्वाहिशों का
भारी हो जाए अगर तो रुला देता है
तारों की रहनुमाई हो या शोर बादलों का
हमसफ़र साथ, तो हर सफर मजा देता है
यहाँ कब चला है ज़ोर उम्र का साहब
तिश्नगी हो, तो बच्चा भी सीखा देता है
बाहर बरसे या हो सैलाब भीतर का
वक़्त का मरहम हर सीलन सुखा देता है
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