हर शजर पहरेदार हैं
**हर शजर पहरेदार हैं**
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श्वेता धुंध सा ये प्यार है,
प्रेम की बसती बयार है|
चुपके-चुपके चोरी-चोरी,
प्रहार करने को तैयार हैं|
तूफानी रफ्तार में रौंदता,
कोई भी न मददगार हैं|
जैसा रुत वैसा मौसम,
प्रियतम ही तलबगार हैं|
चांद सा महबूब सोहणा,
तारामंडल सा परिवार है
मनसीरत नभ गवाह तो,
ये हर शजर पहरेदार हैं|
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)