हर शख्स रखता है जिस्म पर ही नजर
हुस्न और जिस्म को, प्यार कहते रहे
और जताते रहे, हमको जाने जिगर
खता हमने की थी, तुम्हें चाह कर
तुम धोखा करोगे, नहीं थी खबर
मैं तो चलती रही, हरदम राहे वफा
छोड़ा मझधार, अनजान राहे डगर
मैंने सोचा था फूलों से, राहें भरूं
फूल कांटे बनेंगे, मैं रही बेखबर
बहुत मुश्किल भरा है, जिंदगी का सफर
हर शख्स रखता है, जिस्म पर ही नजर