हर रात की बेचैनी
हर रात की बेचैनी
हमने अकेले जीनी।
तुमने रिश्ता तोड़के
हमसे साँसे छीनी।
और ना आँसू पीने
हमने ज़हर है पीनी।
उफ़ ज़हर है कड़वा
ज़रा डाल दो चीनी।
इश्क़ नहीं दुनियाई
बात ये पूरी यक़ीनी।
-जॉनी अहमद ‘क़ैस’
हर रात की बेचैनी
हमने अकेले जीनी।
तुमने रिश्ता तोड़के
हमसे साँसे छीनी।
और ना आँसू पीने
हमने ज़हर है पीनी।
उफ़ ज़हर है कड़वा
ज़रा डाल दो चीनी।
इश्क़ नहीं दुनियाई
बात ये पूरी यक़ीनी।
-जॉनी अहमद ‘क़ैस’