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15 Jun 2023 · 1 min read

हर रस्म निभाया हूं मैं

रिश्तों में हर रस्म को निभाया हूं मैं
सबके बुरे वक्त में काम आया हूं मैं,
एक आवाज पर हाजिर हो जाता था
अपने वक्त को इस कदर लुटाया हूं मैं

खुद के बुरे वक्त में जब भी लड़खड़ाया हूं मैं,
कोई साथ नहीं देता, हां, यह आजमाया हूं मैं,
और गिरकर जब-जब उठा, मेरा तमाशा बना,
इस तमाशे से अपनों को, बहुत, हंसाया हूं मैं।

सब्र रखकर खुद को बहुत समझाया हूं मैं,
तब जाकर कहीं, नया कदम उठा पाया हूं मैं,
कल मेरा कैसा होगा अब इसकी सारी फिकर
ईश्वर के चरणों के हवाले ही छोड़ आया हूं मैं।

Language: Hindi
265 Views

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