हर मुसाफिर की तरह मेरा तू जरूरत है
हर मुसाफिर की तरह मेरी तू जरूरत है ।
मोहिनी रूप तेरा,प्यारी सी सूरत है।।
तू ही फूलो सी हँसी तू मेरी कुदरत है।।
पास आ जा मेरे मुझे तेरी जरूरत है।।
तू मेरा प्यार मेरी जान मेरी हसरत है।
कैसे वया मे करू,तू ही दिल मूरत है।
कृष्णा के दिल मे वस ही एक मूरत है।
हर मुसाफिर की तरह मेरी तू जरूरत है ।
कृष्णकांत गुर्जर धनौरा
तह-गाडरवारा