हर दिल में एक रावण
हर दिल में एक रावण छुपा है,
रूप जिस का अलग अलग है।
स्वार्थ, अभिमान, भय, निष्ठुरता
मन के अंदर के रावण के रंग है।
खून से भरा बुरे गुण का अंश है,
हर गलत कर्म के लिए आतुर है।
नगर शहर गांव में इसका ढेरा है,
अंदर का ये रावण महिषासुर है।
अंदर के रावण को गर हराना है,
और अपने मन का मैल मिटाना है।
तो पहचान इसकी करनी जरूरी है,
तभी इसे हराकर नष्ट कर सकते है।
जब भीतर का रावण हार जाता है
तब आध्यात्मिक विकास होता है।
प्रेम, करुणा की शक्ति मिलती है,
सकारात्मकता का दीप जलता है।
— सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार