Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2020 · 3 min read

हर दिन मातृदिवस हो जाये

सबसे पहले भारत की सीमाओं में और भारत की सीमाओं से परे
विश्व की सभी माताओं को
सर्वप्रथम सादर चरण स्पर्श उनके श्रीचरणों में अर्पित करता हूँ
उनके चरणों की आशीष का तिलक अपने माथे पर लगाता हूँ
और अब अपनी असली औकात में आता हूँ
मातृदिवस की असीम शुभकामनाएं
आप सभी को
आप सभी की माँ आपको चिर यशस्वी होने का वरदान दे
प्रारंभ मुझ से करें
आखिर वरदान किसे नहीं चाहिए?
पर सबको मिलता नहीं
खुद को आंच में जलाना होता है
आप सभी जानते हैं कि मैं थोड़ा बहुत लिख लेता हूँ
ऊबड़ खाबड़
मेरी माँ ने कभी नहीं कहा कि मेरे बारे में लिखो
इससे बड़ा सच कि संसार का कोई भी व्यक्ति माँ पर लिख भी नहीं सकता
जितना लिखे उतना कम
मैंने भी सूरज को दीपक दिखाने का काम किया है
और माँ पर लिखा
उसका ऋण है मुझ पर
जिसे मैं मर कर भी चुका नहीं सकता
केवल नौ महीने की बात नहीं है
उसने तो हर महीने, हर घड़ी, हर पल मेरा ख्याल रखा है
और आज भी रखती है
शायद मातृत्व और वात्सल्य के धर्म का पालन करती हो
मैं नहीं जानता हूँ
मैं तो ये जानता हूँ कि वो मेरी माँ है
बस माँ,हाँ मेरी माँ
एक सवाल मेरे मन में अटका
कि मैंने अपनी माँ की सेवा कितनी की?
उसने जो मेरी सेवा की थी
उसका कितना अंश है?कितना प्रतिशत है?
यकीन मानिए आपके सामने आंकड़ा है
00.01%
ठीक से01%भी नहीं हो पाया
और मैं नहीं बहुत सारे लोग भी ऐसे ही होंगे
मुझे लोगों से लेना नहीं है
मुझे तो लोगों को देना है
अपने विचार, अपनी सोच, अपनी कल्पना, अपनी प्रेरणा
हो सकता है कुछ लोग कहें
हमारा इससे ज्यादा प्रतिशत है
आपके ईमानदारी को मेरा सलाम
पर साहब माँ की सेवा के सामने
हमारी सेवा कुछ नहीं, जरा सी भी नहीं, एक जर्रा भी नहीं
जो अनमोल है
अमूल्य है
अतुलनीय है
अमापनीय है
फिर आपने कैसे माप लिया?कैसे आंकलन किया?
यहाँ पर अपराध मेरे से हुआ है
जो मैंने00.01%का आंकड़ा आपको दिखाया
लेकिन आंकड़ा नहीं दिखाता तो
आप इस निष्कर्ष पर पहुंच ही नहीं पाते
मेरी ये सोची समझी साजिश थी
आपको फसाने के लिए नहीं
सच बताने के लिए
वो भी एकदम अकाट्य वाला
आज मातृदिवस है बोलकर माँ का
अपमान ना करें
दिवस को विशेष नहीं बनायें
हर दिन को मातृदिवस बना दें
365दिन अगर माँ पूजी जायेगी
तो धरती स्वर्ग हो जायेगी
कहते हैं माँ के पैरों में जन्नत होती है
पर मेरा मानना है
जहाँ माँ के पैर पड़ते हैं वहाँ से जन्नत शुरू होती है
किसी ने कहा
भगवान हर जगह नहीं है
इसलिए उसने माँ को बनाया
एक बात बताइये
मीरा बाई और तुलसी दास को छोड़कर किसने भगवान देखा है?
किसी ने नहीं
मैं दावे के साथ बोलता हूँ
सब ने भगवान देखा है
पर पहचान नहीं पाये
अरे अंधभक्तों
वही आपकी माँ
और कोई नहीं
भगवान है
साक्षात भगवान दिखाई दिया
कि अभी भी आंखें बंद हैं
इन्हीं आंखों को खोलने आया था
मेरा मकसद पूरा हुआ
और अभी भी आंखें नहीं खुली तो
आइ स्पेसलिस्ट से चेकअप करा लेना
शायद तुम्हारी इस बीमारी का ईलाज हो सके
भगवान आपकी रक्षा करे
मेरे सिर्फ लिख देने से
आपके सिर्फ पढ़ लेने से
आपके फोटो डाल देने से
अच्छे अच्छे कमेंट्स कर देने से
लाइक कर देने से
शेयर कर देने से
सब्सक्राइब कर देने से
बेल आइकॉन दबा देने से
कभी भी माँ की सेवा नहीं हो सकती है
बिन कहे और बिन दिखाये
माँ की सेवा करें
कृपा वहीं अटकी है आनी शुरू हो जायेगी
माँ तेरी सदा जय हो
अपने लाल,पिले,हरे, गुलाबी, नारंगी
को सद्बुद्धि दे
तेरी सेवा करें
दिखावा नहीं
ढोंग नहीं
एक बात अंत में हमारी तीन माँ है
एक जन्मदायिनी-माँ
एक पोषणदायिनी-गौ माता
एक जीवनदायिनी-धरती माता
तीनों का सम्मान और सेवा निष्कपट भावना से करें
आज के लिए इतना आग काफी है
आदित्य हूँ मेरा काम जलाना ही है
मैं भी अपने धर्म का पालन कर रहा हूँ

पूर्णतः मौलिक स्वरचित सृजन की असीम अलख
आग और अलाव के साथ
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर, छ.ग.

Language: Hindi
Tag: लेख
5 Likes · 3 Comments · 517 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*घर*
*घर*
Dushyant Kumar
तुम ढाल हो मेरी
तुम ढाल हो मेरी
गुप्तरत्न
जब कोई साथी साथ नहीं हो
जब कोई साथी साथ नहीं हो
gurudeenverma198
समझ
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
“अनोखी शादी” ( संस्मरण फौजी -मिथिला दर्शन )
“अनोखी शादी” ( संस्मरण फौजी -मिथिला दर्शन )
DrLakshman Jha Parimal
शिक्षक
शिक्षक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
प्रणय 8
प्रणय 8
Ankita Patel
ग़ज़ल/नज़्म - एक वो दोस्त ही तो है जो हर जगहा याद आती है
ग़ज़ल/नज़्म - एक वो दोस्त ही तो है जो हर जगहा याद आती है
अनिल कुमार
जीवन को जीतती हैं
जीवन को जीतती हैं
Dr fauzia Naseem shad
Ajj fir ek bar tum mera yuhi intazar karna,
Ajj fir ek bar tum mera yuhi intazar karna,
Sakshi Tripathi
*सुंदर दिखना अगर चाहते, भजो राम का नाम (गीत)*
*सुंदर दिखना अगर चाहते, भजो राम का नाम (गीत)*
Ravi Prakash
¡¡¡●टीस●¡¡¡
¡¡¡●टीस●¡¡¡
Dr Manju Saini
दोहावली...(११)
दोहावली...(११)
डॉ.सीमा अग्रवाल
बिन फले तो
बिन फले तो
surenderpal vaidya
मैं अपनी आँख का ऐसा कोई एक ख्वाब हो जाऊँ
मैं अपनी आँख का ऐसा कोई एक ख्वाब हो जाऊँ
Shweta Soni
दोस्ती की कीमत - कहानी
दोस्ती की कीमत - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जब तुम आए जगत में, जगत हंसा तुम रोए।
जब तुम आए जगत में, जगत हंसा तुम रोए।
Dr MusafiR BaithA
मंजिल
मंजिल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
■ रोचक यात्रा वृत्तांत :-
■ रोचक यात्रा वृत्तांत :-
*Author प्रणय प्रभात*
"बेजुबान"
Pushpraj Anant
एक नज़र से ही मौहब्बत का इंतेखाब हो गया।
एक नज़र से ही मौहब्बत का इंतेखाब हो गया।
Phool gufran
भरोसा
भरोसा
Paras Nath Jha
फितरत कभी नहीं बदलती
फितरत कभी नहीं बदलती
Madhavi Srivastava
3196.*पूर्णिका*
3196.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आरजू
आरजू
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
चौकड़िया छंद / ईसुरी छंद , विधान उदाहरण सहित , व छंद से सृजित विधाएं
चौकड़िया छंद / ईसुरी छंद , विधान उदाहरण सहित , व छंद से सृजित विधाएं
Subhash Singhai
लोग गाली देते हैं,👇👇👇👇👇
लोग गाली देते हैं,👇👇👇👇👇
SPK Sachin Lodhi
"I’m now where I only want to associate myself with grown p
पूर्वार्थ
*श्रम साधक *
*श्रम साधक *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
स्वार्थ
स्वार्थ
Sushil chauhan
Loading...