जिंदगी
जमाने भर की ठोकर खाई है हमने जिंदगी मैं पर अब संभलना सीख गए हैं।
जिंदगी ने जीना सिखा दिया है,पहले जमाने भर की उलझनों में थे हम, और अब जीना सिखा दिया है जिंदगी ने।
दूसरों के पैसों पर नाज था हमें पहले ,अब जमाने की ठोकर से अपना पैसा कमाना सीखा रही है जिंदगी।
कौन अपना कौन पराया जिंदगी की ठोकर उन्हें बता दिया है हमें।
जिसने जिंदगी में ठोकर ना खाई उसने मेहनत की रोटी ना कमाई।
अभी तो कामयाबी की पहली सीढ़ी है, धीरे-धीरे कामयाब होकर दिखा देगी यह जिंदगी।
✍️ वंदना ठाकुर✍️