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12 Jun 2022 · 1 min read

हर तरफ है भ्रष्टाचार

लूट खसोट का है व्यवहार
हर तरफ है भ्रष्टाचार
समाज का हो गया बंटाधार
हर तरफ है भ्रष्टाचार

लंबी लंबी लगी कतार
चढ़ावा यहां अब शिष्टाचार
काम निकाले चाटुकार
हर तरफ है भ्रष्टाचार

मेधा हो गई है बेकार
मजा ले रहे पैरोकार
हो रहे सपने उनके साकार
हर तरफ है भ्रष्टाचार

डूबी लुटिया जो हैं ईमानदार
कुंठा के हो रहे शिकार
नौकरी तरक्की सबसे बेजार
हर तरफ है भ्रष्टाचार

बदल रहा आचार-विचार
रिश्वत लगाती नैया पार
काले धन का है कारोबार
हर तरफ है भ्रष्टाचार

निष्ठा हो गई तार तार
सब कुछ लेते हैं डकार
व्यवस्था हो गई है लाचार
हर तरफ है भ्रष्टाचार

न्याय की है सबको दरकार
आंख मूंदे बैठी सरकार
पट्टी खुले तो मिटे अंधकार
हर तरफ है भ्रष्टाचार

Language: Hindi
1 Like · 163 Views

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