हर तरफ़ फूल ही फूल खिलाते चलिये
हर तरफ़ फूल ही फूल खिलाते चलिये
इस क़दर चमन सारा महकाते चलिये
रखना कलाम रामानुज को दिल में अपने
हर तरफ ज्ञान के दीप जलाते चलिये
दिल के दर्द छिपाकर मुस्काते चलिये
बस प्यार हो प्यार हरसू बिखराते चलिये
क़ुर्बानियाँ शहीदों की भूल न जाना
ये तिरंगा फलक पर फहराते चलिये
बस हंसते चलिए और मुस्कुराते चलिये
जानिब-ए-मंज़िल कदम बढ़ाते चलिये
बीमार हो रहा जन जन प्रदूषण से
हर राह पे नये पेड़ लगाते चलिये
सारा जहाँ पुकारे नाम -ए-हिन्दुस्तान
मेहनत से रंग अपना जमाते चलिये
फ़ुरसत कभी नहीं होगी पल भर तुम्हें
माँ बाप और गुरु को शीश नवाते चलिये
–सुरेश सांगवान ‘सरु’