हर तरफ़ तन्हाइयों से लड़ रहे हैं लोग
वक़्त की अंगड़ाइयों से लड़ रहे हैं लोग
हर तरफ़ तन्हाइयों से लड़ रहे हैं लोग
आंख में आंसू हैं दिल में है कोई अपना
प्रेम की गहराइयों से लड़ रहे हैं लोग
कर गया है हर सहारा बेसहारा क्यों
ज़ीस्त की कठिनाइयों से लड़ रहे हैं लोग
गूंजती शहनाइयां भी दिल दुखाती हैं
गूंजती शहनाइयों से लड़ रहे हैं लोग
अपनी ही परछाइयों से अब शिकायत है
अपनी ही परछाइयों से लड़ रहे हैं लोग
–शिवकुमार बिलगरामी