हर ज़ुबां पर यही ख़बर क्यों है
हर ज़ुबां पर यही ख़बर क्यों है
आँख तेरी बता दे तर क्यों है
जिसने दी है तुझे सदा ही छांव
आज खलता वही शजर क्यों है
तुझको मंज़िल अगर यही पानी
रोकता अपना तू सफ़र क्यों है
है नहीं राबता अगर मुझसे
तो जिधर मैं हूँ तू उधर क्यों है
है न गलती अगर कोई तेरी
फिर झुका शर्म से ये सर क्यों है
जब किसी की भी है नहीं परवाह
फिर ज़माने का तुझको डर क्यों है
तेरी खातिर मिटा दिया खुद को
तू खफ़ा फिर भी इस कदर क्यों है
लाख कोशिश के बाद भी अब तक
हर दवा तुझ पे बेअसर क्यों है
‘अर्चना’ जब सबूत हैं सारे
फिर बता ये अगर मगर क्यों है
डॉ अर्चना गुप्ता
11.07.2024