यहां कश्मीर है केदार है गंगा की माया है।
ग़ज़ल
1222/1222/1222/1222
यहां कश्मीर है केदार है गंगा की माया है।
तभी सारे जहां से भी हमारा देश प्यारा है।
सदा रखना पिता माता को ईश्वर के ही दर्जे में,
दिया है दर्द जिसने भी नहीं सुख चैन पाया है।
कहीं मंदिर कहीं मस्जिद समंदर झील औ’र पर्वत,
जिधर देखो नज़र भर के उधर सुंदर नज़ारा है।
खता हर माफ़ कर देंगे, न करना देश से धोखा,
उठाए जो नज़र इस पर, वही दुश्मन हमारा है।
हमारे देश में परिवार जैसा प्यार आपस में,
किसी भी जाति धर्मों का हो भाई सा वो प्यारा है।
जो मेरी इंतजारी में है बैठे बेकरारी में,
उन्हें करने गिले शिकवे ये मिलने का बहाना है।
कहां ‘प्रेमी’ है अब ऐसे लुटा दें प्यार पर सबकुछ,
नहीं अब कृष्ण मिलते हैं न ही अब मिलती राधा है।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी