हर घर में जब जले दियाली ।
दिवाली की बात निराली,
अँधियारी थी हुई सयानी,
घोर घमंड अंधेरा का फैला,
मन के अंदर था जो मैला,
हुई सफाई दिवाली में,
दीपक की लौ जा उजियारी लाई,
ढेर हुआ अंधकार भी,
हर घर में जब जले दियाली।
फूट फूट कर रोये पटाके,
छुप छुप कर भागे सब दुःख,
ज्ञान प्राप्त कर बोधि बन,
घर लौट कर लाये खुशियाली,
“अप्प दीपो भव ” बनी वाणी,
दुःख सभी के मुक्त हुए,
दिवाली की यही बात निराली,
हर घर में जब जले दियाली ।
मन का कचरा भी साफ कर दो,
मिल जुल कर हँस कर बात कर लो,
मिठाई बने पकवान बने,
झिलमिल तारों सा घर चमके,
स्वछ नये वस्त्र धारण करके,
बहारो के गीत भजन बजे,
मन की बुराई और भेद मिटा कर,
हर घर में जब जले दियाली ।
सब को पावन करने आती,
दीवाली है इतनी न्यारी,
शुभ दिवाली सबकी हो,
एक दीप हृदय में प्रकाशित हो,
जल जाए दिव्य ज्योत अंतर्मन में,
ऐसी ही सबकी मने दिवाली,
आओ मिल जुल कर दीप जलाए,
हर घर में जब जले दियाली ।
# सपरिवार सभी को दिवाली की शुभकामनाये #
रचनाकार
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।