हर ख्वाहिश यहां अधूरी है
लगी हुई है होड़ जगत में
अंधी दौड़ मजबूरी है
जायदाद वैभव पद पैसा
जीवन को नहीं जरूरी है
जीवन को आनंद से जीने
सुख संतोष जरूरी है
बिना शांति के जीवन में
हर ख्वाहिश यहां अधूरी है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
लगी हुई है होड़ जगत में
अंधी दौड़ मजबूरी है
जायदाद वैभव पद पैसा
जीवन को नहीं जरूरी है
जीवन को आनंद से जीने
सुख संतोष जरूरी है
बिना शांति के जीवन में
हर ख्वाहिश यहां अधूरी है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी