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9 May 2017 · 1 min read

हर ख़ार …

हर ख़ार …

हर ख़ार तेरी राह का पलकों से उठा लेने दे
हर अश्क तेरी चश्म का हाथों पे सजा लेने दे
तू हयात है मेरी तुझे ग़मगीन भला देखूं कैसे
तेरा हर ग़म मुझे इन पलकों में छुपा लेने दे

सुशील सरना

Language: Hindi
201 Views
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