हर किसी में आम हो गयी है।
अब तो हर किसी में आम हो गयी है।
देखो मोहब्बत यूँ बदनाम हो गयी है।।
अमीरों के यहाँ फिरसे बाज़ार सजा।
गरीब की इज्जत नीलाम हो गयी है।।
वहाँ पर कभी रहती थी ज़िन्दगियाँ।
क्या हुआ जो बस्ती वीराँन हो गयी है।।
फालतू में तू परेशां था मैं जानता था।
देखो खुदाई तुझपे मेहरबाँ हो गयी है।।
बन गया है वो अब खुदा का दीवाना।
ज़िंदगी आयत ए कुरआन हो गयी है।।
तुमने अच्छा किया पिंजड़ा खोलकर।
छोटी चिड़िया भी आसमाँ हो गयी है।।
तुन्हें खुद के सीने से ना निकालनी थी।
नहीं छुपेगी बात अब आम हो गयी है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ