हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना।
हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना।
सहज दुहरा सकूँ ऐसा मधुरतम गान भर देना।
उठे जब तान मुरली की मुदित मन चल पड़े गोधन,
कन्हैया प्राण में ऐसे सुयोजित प्राण भर देना!
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©सत्यम प्रकाश ‘ऋतुपर्ण’