हरी हरी पत्तियाँ
हरी हरी पत्तियाँ।
प्रकृति हीं जीवन है,
अनुभवों का विचरण है,
पंछी स्वरों का गुंजन है,
प्रभातबेला में निमंत्रण है,
हरा भरा शुभ आँगन है,
हर प्राणी का श्वांस बन्धन है,
इसी से प्रकाश संश्लेषण है ।
बिखरी हरियाली,
प्रातःसूर्य की लाली,
कार्बन चक्र वाली,
औक्सीजन देने वाली,
प्राण वायु वाली ,
हमारी श्वांस प्रणाली है।
इस धरती का स्तित्व है,
प्राणी का जीवन चक्र है,
हर ऋतु का अनुसरण है ,
एक अनुशासित बन्धन है ।
इस बन्धन को बनाये रखना है,
जंगलों को बचाये रखना है,
ग्लेशियर को बचाये रखना है,
समुद्र के उथल पथल से बचना है,
ऋतु परिवर्तन को अनुशासित होना है,
तभी यह पृथ्वी है,
ये सारे प्राणि हैं,
यह जन जीवन है ,
ये हरी पत्तियाँ,
प्राणि दर्शन है।
दीपाली कालरा