हरि का घर मेरा घर है
है बेटी तेरी कैसी किस्मत जन्म तेरा हुआ था जब भी अनजान सबसे तू।
तू यहां नहीं जाएगी तू वहां नहीं जाएगी पाबंदी आती थी और पांव में बेड़ियां जैसी थी।
तुझे यह काम भी करना है तुझे वह काम भी करना है ,कोई उसकी भी सुन लो उसके अरमान क्या है दिल में।
जब हुई तेरी विदाई अरमान तभी के दबे रह गए हैं, बेटी तेरी कैसी किस्मत ,जब घर गई घर अपने प्रियतम वहां भी जुबानी सबकी बोले तो घर पराए से आई।
बेटी रो रो बोले प्रभु से ,हे प्रभु घर कौन सा मेरा, घर कौन सा मेरा…….
प्रभु बोले सुन बिटिया ..….संसार है सारा झूठा .मेरा घर है इक सच्चा , मैं तुम्हारा सच्चा पिता मैं ही तुम्हारी माता मेरा ही घर तेरा सच्चा घर ।।
अब बेटी रो रो सबको बोले सुन लो दुनिया वालों मेरा घर भी मिल गया मेरा घर भी मिल गया हरे का घर ही मेरा घर है हरि का घर ही मेरा सच्चा अगर है बाकी सारे संसार के घर है झूठे हरि का घर ही मेरा घर है हरि कजरी मेरा घर।।।।।