हरियाली तीज
चलो एक बार फिर से हम सावन में भीग आते हैं,
रिमझिम रिमझिम बारिश में अपने मन को लुभाते हैं।
छायी है काली बदरी और मौसम भी है आशियाना,
हरियाली फैली है चारों ओर, पेड़ भी गुनगुनाते हैं।
कूं कूं करती कोयल प्यारी,गीत गा रहे पपीहे,
मौसम ने छेड़ी है सरगम,सागर तान सुनाते हैं।
मोर भी अपने पंख फैलाकर नाच रहें हैं खुशी से,
झूम रहा है मेरा मन भी, पाँव थिरकते जाते हैं।
बीत न् जाए सावन यूँ ही, चलों ले लें आनन्द इसका,
मदहोशी के इस मौसम में,दुख दर्द सभी भुलाते हैं।
By: Dr Swati Gupta