हरियाली का सावन
पत्ता पत्ता
डाली डाली
क्यारी क्यारी
हरियाली लहराई
हाथों में पहन हरी चूड़ियां
हरी चुनर ओढ़
सिर पर फहराई
नीले आसमान के नीचे
हरे मखमली रंगों का
एक जीवंत सा उत्सव
खुल गये
हर स्वप्न के कक्ष में
जैसे चक्षु और
हो रहे हरि के दर्शन
एक मनोहारी सी प्रीत है
सावन का गा रहा
हर दिल एक
मधुर रस भरा
हरि के चरणों में अर्पित
कोई प्रेम गीत है
हरियाली का सावन
बरस रहा हर सू
हर तरफ खनक रही
चूड़ियां और
झूल रहा हरे पत्तों के
वस्त्र धारण करे
गोपियों का कोई समूह
कन्हैया बांसुरी बजा
रहे
रास भी रचा रहे
प्रेम का प्रसाद बांट रहे
प्रेम का रस बरसा रहे
हरियाली की ओट में
कभी छिपकर
कभी बाहर निकलकर
एक कोयल की कूक सा
गूंजता कोई
प्रेम राग भी सुना रहे।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001