हरियाणा की होली
प्रदेशों में अनोखा, हरियाणा हमने देखा,
ऊंची बोली, सादा खाना, ऐसी है रूपरेखा।
सादगी है पहनावे में, मन साफ़ आयने जैसा,
तीज त्योहार ऐसे मनाये, नहीं मनाए कोई ऐसा।
हरियाणा की होली का हुड़दंग है जग जाहिर,
औरत और आदमी हैं खेलने में माहिर।
होलिका दहन करें सब मिल पहले दिन,
बुराई पर अच्छाई की जीत हो प्रतिदिन।
रंग बरसे फागुन में हर ओर,
हरियाणा में चले कोरड़े पुरज़ोर।
देवर-भाभी, नन्दोई- सालहेर, जीजा-साली का यह खेल,
ना छेड़े कोई एक दूसरे को बिना रिश्ते के मेल।
मर्दों को हक सिर्फ पानी डालने का पुरज़ोर,
औरतें बरसायें कोरड़े और लगाए ज़ोर।
सो सुनार की एक लोहार की कहावत दिखे सही,
होली पर औरतों को मारने का हक मिले सोही।
ये खेल प्यार का, ना कोई द्वेष भावना,
प्रतीक है प्यार-रिश्ते और दिखती सद्भावना।
फागुन का मास, झूमें पकी फसल खेतों में चारों ओर,
खुशियाँ और रंग बिखरे हर ओर।
होली आई, चारों ओर मस्ती छाई,
गुजिया, लड्डू, हर घर बनी खूब मिठाई।
एक बार हर कोई मनाये हरियाणा की होली,
भूल भेद-भाव, सिर्फ प्यार और मस्ती की टोली।