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28 Dec 2017 · 1 min read

हम क़ुदरत से जुदा हो गए हैं

हम क़ुदरत से जुदा हो गए हैं
शायद खुद ही से खफा हो गए हैं।

जी रहे थे हम जिन के सहारे
उन्ही से बेवफ़ा हो गए हैं।

काट देते हैं बेरहम होकर
रिश्ते खुद ही तबाह हो गए हैं।

तल्ख साँसें औ बीमारी लेकर
खुद ही अपनी सज़ा हो गए हैं।

आग के उठ रहे हैं बवण्डर
जिनमे जज्बे फना हो गए हैं।

दिलनशीं से भी दिल ना लगाया
खुद ब खुद बेमज़ा हो गए हैं।

विपिन

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