“हम हो गए दीवाने”
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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तेरे हर बोल में अमृत है कोयल की राग है तुझमें !
मधुर गीतों का है संगम सभी रस छंद है तुझमें !!
तेरे हर बोल में अमृत है कोयल की राग है तुझमें !
मधुर गीतों का है संगम सभी रस छंद है तुझमें !!
तुम्हारा रूप जब दमके लगे कोई चाँद निकला हो !
किया शृंगार तारों ने लगे कोई रत्न बिखरा हो !!
तेरे हर बोल में अमृत है कोयल की राग है तुझमें !
मधुर गीतों का है संगम सभी रस छंद है तुझमें !!
नयन को देख कर लगता मेरी तुम राह तकती हो !
मिलन की चाह में रहकर मुझे रह- रह बुलाती हो !!
तेरे हर बोल में अमृत है कोयल की राग है तुझमें !
मधुर गीतों का है संगम सभी रस छंद है तुझमें !!
फड़कते ओठ के प्याले मधुर रस पान को तरसे !
कहीं प्यासा ना रह जाऊँ मेरा दिल प्यार को तरसे !!
तेरे हर बोल में अमृत है कोयल की राग है तुझमें !
मधुर गीतों का है संगम सभी रस छंद है तुझमें !!
रहूँगा संग जीवन भर कभी नहिं साथ छोडूंगा !
बना हूँ मैं सदा साथी नहीं कभी मुँह को मोडूंगा !!
तेरे हर बोल में अमृत है कोयल की राग है तुझमें !
मधुर गीतों का है संगम सभी रस छंद है तुझमें !!
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
18.09.2024