हम ही हैं पहचान हमारी जाति हैं लोधी.
हम ही हैं पहचान, हमारी जाति हैं लोधी.
जब तक धरती रहिये, तब तक एकही बोली..
जाति हमारी लोधी, लगावे भिन्न भिन्न सरनेम.
अबहु जाग जा अबहु मान जा, फिर नाहिं बचेगो टेम..
चाहे जो सरनेम लगावो, भूलो न अपनी जाति.
कोई सहाय न हो असने में, होवे केवल भ्रात.
लोदरवा लुधियाना से हम, नापो हिन्दुस्तान.
जंहु दिस नजर घूम गई हमरी, हने दुश्मन के प्रान..
वीर अवंतीबाई, हिरदेशाह दरियाव सिंह.
व्रहस्वरुप लोहित तेजी ईश्वरदास सा सिंह..
आदिकाल से वर्तमान तक, जने हजारों भूप.
बाल न बांका कर सके कोई, चाहे पिये अमृत का सूप..
सतयुग द्वापर हमने देखो, देखो मुगल सा काल.
फिर भी हम ना मिट सके, चाहे युद्ध लड़े बिकराल..
परशुराम से हम लड़े, लड़े युद्ध विकराल.
महादेव से शक्ति पाई, लोध वंश के लाल..
आजकल कुछ नीच कमीने, चलें मिलावट चाल.
जब तक जीवित रहे धरन पर, करन न देवें घात..
करन न देवें घात, लोध तो योद्धा रहिवे.
सुनों जवानों बात,करो प्रतिघात जिंदगी फेर न मिलवे..
न काहू से बैर, न काहू से फेर.
बात आत जब मान की, कर देते हैं ढेर..
जाति हमारी लोधी, लगावे भिन्न भिन्न सरनेम.
अबहु जाग जा अबहु मान जा, फिर नाहिं बचेगो टेम..
📝
लोधी श्याम सिंह तेजपुरिया
12/10/2023
सर्वाधिकार सुरक्षित