हम सम्मान करें गुरुओं का
आओ ममतारहित बनें हम, मुक्ति मान से पाएं।
हम सम्मान करें गुरुओं का, उनको माथ नवाएं।।
लगन सफलता की आत्मा है, यह हम कभी न भूलें।
संकल्पी बन यत्न करें हम, प्रगति शिखर को छू लें।।
श्रेय सफलता न स्वयं लें, करके त्याग दिखाएं।
हम सम्मान करें गुरुओं का, उनको माथ नवाएं।।
सम्यक ज्ञान सिखाता लाएं, निज जीवन में ऋजुता।
सदा-सर्वदा सुखदायक है, सविनय सतत सजगता।।
लोक-ईषणा के चंगुल में, फॅंसने से बच जाएं।
हम सम्मान करें गुरुओं का, उनको माथ नवाएं।।
सम्यक दर्शन कहता सबमें, शक्ति अपरिमित सोयी।
जमी मलिनता जा सकती है, सदाचार से धोयी।।
विरत रहें हम दुराचार से, सदाचार अपनाएं।
हम सम्मान करें गुरुओं का, उनको माथ नवाएं।।
सच्चा बल चरित्र का बल है, ऋद्धि-सिद्धि का दाता।
सच्चरित्रता के बल पर ही, नर इतिहास रचाता।।
आओ हम आदर्श शिष्य बन, निज कर्तव्य निभाएं।
हम सम्मान करें गुरुओं का, उनको माथ नवाएं।।
महेश चन्द्र त्रिपाठी