हम सभी की दिवाली मन जाएं
अगर मन की देहरी पर आशा के दीप जल जाए,
तो हर संकल्प को नयी रोशनी मिल जाएं।
अगर विश्वासों के तार को झंकार मिल जाएं,
तो हर कल्पना को नया आकार मिल जाएं।
अगर कर्म को धैर्य का सहयोग मिल जाएं
तो हर ख्वाब को नयी उड़ान मिल जाएं।
अगर मन से राग व द्वेष की गांठ खुल जाएं,
तो हम सभी की अनुपम दिवाली मन जाएं।
।।रुचि दूबे।।