Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Nov 2016 · 1 min read

हम वफ़ादार थे हर हाल वफ़ा करते थे

काम था उनका जफ़ा करना जफ़ा करते थे
हम वफादार थे हर हाल वफ़ा करते थे

हम जिये कब ऐ सनम बिछर कर पल भर
सांस लेने की फकत रस्म अदा करते थे

अब हमे देख के रास्ते ही बदल लेते है
कल तक मिलने की हमसे जो दुआ करते थे

बंदिशें दुनिया की कब इश्क़ ने मानी यारों
उनसे छुप छुप के बहाने से मिला करते थे

हम तुम्हें सोचते ही रहते थे करवट करवट
और यादों में तेरी आहे भरा करते थे
बबीता अग्रवाल #कँवल

577 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुरझाना तय है फूलों का, फिर भी खिले रहते हैं।
मुरझाना तय है फूलों का, फिर भी खिले रहते हैं।
Khem Kiran Saini
आत्मा शरीर और मन
आत्मा शरीर और मन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रामपुर में काका हाथरसी नाइट
रामपुर में काका हाथरसी नाइट
Ravi Prakash
,,,,,,,,,,,,?
,,,,,,,,,,,,?
शेखर सिंह
मैं
मैं
Ajay Mishra
कर्म का फल
कर्म का फल
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
तन्हाईयाँ
तन्हाईयाँ
Shyam Sundar Subramanian
पापा के वह शब्द..
पापा के वह शब्द..
Harminder Kaur
' पंकज उधास '
' पंकज उधास '
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
उड़ चल रे परिंदे....
उड़ चल रे परिंदे....
जगदीश लववंशी
नाम:- प्रतिभा पाण्डेय
नाम:- प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
Pratibha Pandey
दानवता की पोषक
दानवता की पोषक
*Author प्रणय प्रभात*
दोहा- बाबूजी (पिताजी)
दोहा- बाबूजी (पिताजी)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
एक उम्र
एक उम्र
Rajeev Dutta
उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में
उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में
करन ''केसरा''
दोहे
दोहे "हरियाली तीज"
Vaishali Rastogi
कुंडलिया छंद की विकास यात्रा
कुंडलिया छंद की विकास यात्रा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
फांसी का फंदा भी कम ना था,
फांसी का फंदा भी कम ना था,
Rahul Singh
रूपमाला
रूपमाला
डॉ.सीमा अग्रवाल
अब हम क्या करे.....
अब हम क्या करे.....
Umender kumar
अक्ल के दुश्मन
अक्ल के दुश्मन
Shekhar Chandra Mitra
* फूल खिले हैं *
* फूल खिले हैं *
surenderpal vaidya
"बढ़"
Dr. Kishan tandon kranti
- रिश्तों को में तोड़ चला -
- रिश्तों को में तोड़ चला -
bharat gehlot
तुम्हारा चश्मा
तुम्हारा चश्मा
Dr. Seema Varma
जितना रोज ऊपर वाले भगवान को मनाते हो ना उतना नीचे वाले इंसान
जितना रोज ऊपर वाले भगवान को मनाते हो ना उतना नीचे वाले इंसान
Ranjeet kumar patre
*अहम ब्रह्मास्मि*
*अहम ब्रह्मास्मि*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रास नहीं आती ये सर्द हवाएं
रास नहीं आती ये सर्द हवाएं
कवि दीपक बवेजा
कवि को क्या लेना देना है !
कवि को क्या लेना देना है !
Ramswaroop Dinkar
चाँद
चाँद
TARAN VERMA
Loading...