हम रोते नहीं
हम रोते नहीं, न रोयेंगे
हम हॅंस-हॅंस हर दुख धोयेंगे
हम कभी न होंगे शोकमग्न
हम साथ सुखों के सोयेंगे
हम सुख-दुख में रहते हैं सम
मरने से कभी न डरते हम
चलते ले ज्योति-पताका तब
छितरा जाता है सारा तम
हम भारतमाता के सपूत
हम कहलाते हैं शान्तिदूत
हम में कमजोरी नहीं, किन्तु
करुणा-कोमलता है अकूत
हम हैं सत्पथ के अनुयायी
यम के घर करते पहुनाई
सचराचर ब्रह्म मान हमने
पीड़ा न किसी को पहुॅंचाई
महेश चन्द्र त्रिपाठी