हम भी है आसमां।
अगर तू जमीं है जहां की तो हम भी हैं आसमां।
आ मिलकर बना लें हम अपना मुकम्मल जहां।।1।।
चलो दो जिस्म एक जां बनकर इश्क करते हैं।
किताबों में पढ़ी जाएगी यूं अपनी इश्के दास्तां।।2।।
दिल से कुछ तुम बना देना कुछ मैं बनाऊंगा।
ऐसे बन जाएगा अपना खुशियों भरा आशियां।।3।।
गर गलती हो जाए एक दूजे से तो मना लेंगे।
मिट जाएंगे यूं फासले जो होंगे दिलों के दरम्यां।।4।।
चांद सितारों की रात है खुद में घुल जाने दे।
बन गए हैं तेरे खालिक अब यूं हमसे ना शरमा।।5।।
बड़ी शिद्दत से चाहा है तुमको जो मिले हो।
चाहत में देखो अपनी दीवाना हुआ है ये शमा।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ