हम भी मशहूर हैं…..
अपनी मासूम सी जिंदगी के लिए
लिख रहा हूँ ग़ज़ल आप ही के लिए
आँख से रूठकर आँसुओं ने कहा
लोग जीते हैं अपनी ख़ुशी के लिए
बुत बनो या रहो इन हवाओं में तुम
खोज लेंगे तुम्हें बंदगी के लिए
इश्क की इन्तहां देखिए तो ज़रा
है अँधेरा खड़ा रोशनी के लिए
पीढ़ियाँ हैं नयी और नयी सोच है
आई है ये हवा ताजगी के लिए
नाम फैशन में ग़र आपका है तो क्या
हम भी मशहूर हैं सादगी के लिए