हम भी देश बदलते हैं
कल गली में कुछ बच्चे,
‘गधे का धोबी’ खेल रहे थे
गठरी थी धोबी के सिर पर
गधे उसको पेल रहे थे
हँस कर हमने समझाया
“बच्चों! ये क्या कर रहे हो?
धोबी और गधे की क्यों
भूमिकाएँ बदल रहे हो?”
बच्चे बोले,”आंटी यूँ तो
आप सयानी लगती हो
साथ न चलती पर समय के
क्यों नादानी करती हो?”
पता नहीं जरा आपको
क्या देश में चल रहा
सूर्खियों में गधा है हीरो
धोबी हाथ मल रहा
आज के बच्चे हैं हम
साथ वक्त के चलते हैं
सीख बड़े नेताओं से ले
हम भी देश बदलते हैं
(हेमा तिवारी भट्ट)