हम भारिया आदिवासी
हम भारिया आदिवासी
रहे हैं कभी जंगल के वासी
अब हो गये हैं गाँव शहर निवासी
शीघ्र बनेंगे देश के स्वशासी
भारिया नहीं माँगते कभी भिक्षा
जड़ से दूर करेंगे समाज की अशिक्षा
बचाये रखेंगे हम अपने संस्कार
बनाये रखेंगे अपना सद्व्यवहार
मिटायेंगे सामाजिक कुरीतियांँ
अपनायेंगे सर्वोत्तम नीतियांँ
संगठन एकता से करेंगे संघर्ष
जय आदिवासी जय भारिया का हर्ष
प्रकृति ही हमारी शक्ति
करते हैं उसी की भक्ति
पेड़ पौधे पशु पक्षी हमारे देव
जल जंगल जमीन ही महादेव
हम क्यों नहीं बन सकते कलेक्टर
और किसी राज्य देश के मिनिस्टर
तैयार हो जाओ ब्रदर और सिस्टर
करा लो इनमें अपना नाम रजिस्टर
जागो उठो मेरे भारिया आदिवासी
अब नहीं बनना दफ्तर के चपरासी
खूब पढ़ो खूब बढ़ो बनो बड़े से डाक्टर
कानून की पुस्तक पढ़ बन जाओ बैरिस्टर
जोड़ घटाना गुणा भाग सीखकर
साथ ही व्यापार का हुनर सीखकर
बन जाओ छोटे बड़े व्यापारी
कर लो मुट्ठी में दुनिया सारी
उन्नत कृषि अधिक उपज उत्पादन
करें भारिया उत्तम कृषि प्रतिपादन
कोई न रहेगा मजदूर व कृषि मजदूर
कर देंगे मिलकर सब की दीनता दूर
माँ के दूध को मत लजाओ
उच्च गुणों को तुम अपनाओ
मदिरा पीकर मान न घटाओ
मेहनत करके नाम कमाओ
कहे ओम् जागो उठ दौड़ो
अशिक्षा कुरीति सब छोड़ो
गुटका तंबाकू से मुंह मोड़ो
अपने को परहित से जोड़ो
ओमप्रकाश भारती ओम्
सिवनी मंडला बालाघाट छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश
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