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30 Nov 2021 · 1 min read

हम बिलखते रहे

***हम बिलखते रहे (गजल)***
*************************

रौब में हम पर वो गरजते रहे,
प्रेम में उन पर हम बरसते रहे।

मात देकर झट वो हमें चल दिए,
चाह में उनकी हम तड़फते रहे।

जान कर भी अंजान बनकर रहे,
भाव मन में आ कर मचलते रहे।

तान क र बौहें दूर हम से हुए,
टूट कर आंगन में बिखरते रहे।

छोड़कर मनसीरत रुका पल नहीं
याद में उनकी हम बिलखते रहे।
**************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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