हम बच्चे
हम बच्चे
हम बच्चे हाँ हम बच्चे,
थोड़े कच्चे पर हैं सच्चे ।
उर में हमारे कृष्ण हैं बसते,
उनका हमें सब रूप हैं कहते ।
आपस में लड़ फिर बंध जाते,
तभी तो हम भोले कहलाते ।
जो करे प्रेम उसके हो जाते,
किसी को हम न पीड़ा पहुँचाते ।
बातों को हमारी तुम न तोलो,
जो कहो करेंगे बस प्रेम से बोलो ।
स्नेह के तुम्हारे पंख लगाके,
नील गगन में उड़ना चाहें ।
कोयल से भी हम मीठा गाएँ,
ग़र उत्साह की सरगम तुमसे मिल जाए।
ख़ुशबू के हम हैं वो झोंके,
जो महकाना सबके जीवन को चाहें ।
सबको बना लें हम अपना हँसके,
दिखते हैं हम जब माँ खोले पलकें ।
ध्यान रहे हमारे नैन न छलकें,
बड़े अरमान से रहते हैं इनमें प्रभु इस जग के ।
हमसे न मिलेंगे तुम्हें कोई भी दिल के,
डूबते को लें बचा हम हैं वो तिनके ।
देख हमें तरु पर खग हैं चहकते,
बैठे हों उदास तो प्रभु खुद मिलने चले आते।
हमारे ही ये दिन सुनहरे कहलाते,
तभी तो बचपन को सब भुला न पाते ।
न भूलेंगे तुम्हारा वो सिर पर हाथ फेरना,
है हमारे लिए हर हाथ पालना।
है हमारे लिए हर हाथ पालना।
इंदु नांदल
जकारता
इंडोनेशिया