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25 Aug 2022 · 1 min read

हम फिर वही थे

रात आँखों ने एक ख़्वाब देखा……

~~~~~~~~~~~~~

हम फिर वही थे,,,

जहां से हम चले… थे

वही रास्ते पलट आये

वही मंजिल नज़र आ रही थी

वही दरख्तों के घने साए थे

फूल बहुत से नए खिल आए थे

ऐसा लगा जेसे

पूछ रहे हैं

तुम बचपन से गए….

आज तक

लौट कर नहीं आये???

कहा रह गए हो

कहा खो गए हो

हम आज तक तुम्हारा इंतजार:

करते है….

रोज़ खिलते हैं

रोज़ बिखरते है

हम तुम्हें

बहुत याद करते हैं

तुम तो हम से बहुत प्यार करते

थे

कब हमारे बिना तुम रहते थे

और हम खामोश रह गए

सोचते रह गए

ये बता ना सके के

तुम सब को छोड़कर के भी

हम तुम से

अलग
कभी नहीं रहे

जिंदगी की जद्दोजाहद में हम खो गए

किन2 ख्वाहिशो के पीछे भागते

रहे..और

कितने खूबसूरत पलो को

पीछे छोड़ गए……

फिर

अचानक आंख खुल गयी

देखते हैं तो वो ही खामोशी है

एक अजीब तनहाई है

धूप खिडकी से नज़र आई है….

ये जिंदगी कहा लाई आई है

फूल

सा खिला था बचपन

और वक्त बिखर गया है

सूखे पत्तो की तरह.!!!!!!शबीना

Language: Hindi
2 Comments · 164 Views
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