हम चुप क्या हुए हैँ, तुम सर ही चढ़ गये हो
हम चुप क्या हुए हैँ, तुम सर ही चढ़ गये हो ।
हम तो हैं हदों में, तुम हद से बढ़ गए हो ।
हम चुप क्या हुए हैँ, तुम सर ही चढ़ गये हो ।
तुम जो समझ रहे हो, हरगिज़ नहीँ है वैसा ।
कमज़ोर समझ के हमको, तुम तो लड़ गए हो ।
हम चुप क्या हुए हैँ, तुम सर ही चढ़ गये हो ।
ज़िन्दा उसकी को कहते, जो झुकना जानता है ।
कबसे बने हो मुर्दे, जो ऐसे अकड़ गए हो ।
हम चुप क्या हुए हैँ, तुम सर ही चढ़ गये हो ।
कमज़ोर मैं नहीँ हूँ, कुछ सोचकर मैं चुप हूँ
वाकिफ़ नहीँ हो मुझसे, लगता मुझे नए हो
हम चुप क्या हुए हैँ, तुम सर ही चढ़ गये हो ।
तासीर है गर्म सी, फिर भी बना बंर्फ हूँ ।
मैं आग का हूँ शोला, चिंगारी जो तुम बने हो ।
हम चुप क्या हुए हैँ, तुम सर ही चढ़ गये हो ।
अंदर से मैं भरा हूँ, फिर भी मैं चुप खड़ा हूँ ।
खाली है दिल है तुम्हारा, फिर भी तने खड़े हो ।
हम चुप क्या हुए हैँ, तुम सर ही चढ़ गये हो ।