बेटी नहीं उपहार हैं खुशियों का संसार हैं
नहीं किसी से कम हैं बेटी, ईश्वर का उपहार हैं बेटी (1)
दया की देवी प्रेम की मूरत, लगती हैं अब इसकी सूरत l
पैदा हुई छाई खुशहाली, सुबह के सूरज जैसी लाली ll
जैसे सावन की हरियाली, और बसंत की हवा निराली l
नहीं किसी से कम हैं बेटी, ईश्वर का उपहार हैं बेटी (2)
गूंजी हैं जब से किलकारी, घर में हो रही रोज दिवारी l
नन्हें कदम पड़े धरती में, खुशियां छाई तबसे घर में ll
बेटी नहीं खिलौना हैं, हम सबका ये छौना हैं l
करे पढ़ाई जावे स्कूल, बेटी सबसे हैं अनमोल ll
बनके अफसर जब घर में आवे, गर्व से छाती चौड़ी हो जावे l
नहीं किसी से कम हैं बेटी, ईश्वर का उपहार हैं बेटी (3)
बेटी बेटा एक समान, तभी बनेगा देश महान l
बेटी एक वरदान हैं, मानव का अभिमान हैं ll
बेटी एक उपहार हैं, खुशियों का संसार हैं l
बिना हवा के जैसे धरती, बिन बेटी संसार हैं ll
नहीं किसी से कम हैं बेटी, ईश्वर का उपहार हैं बेटी (4)